ज्वालामुखी,ज्वालामुखी के प्रकार

 


ज्वालामुखी एक प्रकार का प्राकृतिक आपदा होती है जिसमें धरती के नीचे दबी हुई ऊष्माग्रव के कारण गर्म लवा धारा और अन्य गैसों के साथ आवश्यकतानुसार विस्फोट होता है। यह आग और धुआं के साथ उठता है और आसपास के स्थानों और लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।

ज्वालामुखी,ज्वालामुखी के प्रकार


ज्वालामुखी का उत्पादन धरती के भीतर के उष्माग्रव के संचय के कारण होता है, जो अन्य कारकों जैसे बुद्धिमानी, भौतिक दबाव, वस्तुओं के घनत्व और ऊर्जा संवेदन के साथ उसके रूप में बदलता है। ये ज्वालामुखियां समुद्री तल से भी निकल सकती हैं और इसलिए जहां भी सकारात्मक ऊष्माग्रव होता है, वहां ज्वालामुखी का खतरा हो सकता है।


ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखी कई प्रकार की होती हैं और इनमें से कुछ मुख्य प्रकार हैं जैसे:

शीतज्वालामुखी: इस प्रकार की ज्वालामुखी में लवा कम गरम होता है और धुएँ का उत्पादन नहीं होता है। इस प्रकार की ज्वालामुखियों का उदाहरण आईसलैंड के कुछ जगहों पर देखा जा सकता है।

गर्मज्वालामुखी: ये ज्वालामुखियां लवा और धुएं उत्पादित करती हैं। इनमें से कुछ ज्वालामुखियां बहुत ऊँची होती हैं और अपने उच्च तापमान के कारण विस्फोट करती हैं। हवाई टॉगो, इटली के माउंट एटना, और हवाई आइलैंड्स के कुछ जगहों में इस प्रकार की ज्वालामुखियां होती हैं।

विस्फोटीय ज्वालामुखी: इन ज्वालामुखियों में विस्फोट होता है जो कम समय में बड़े पैमाने पर होता है। ये ज्वालामुखियां अक्सर समुद्री तल से उठती हैं। इस प्रकार की ज्वालामुखियों का उदाहरण हैं पोम्पेई ज्वालामुखी, क्रकाटोआ ज्वालामुखी और संतोरिनी ज्वालामुखी। के प्रकार


सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी के प्रकार

सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी

सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होती है जो वर्तमान समय में धुएं, लावा और अन्य गैसों का उत्सर्जन करती है। इसे आमतौर पर "एक्टिव वोल्केनो" के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार की ज्वालामुखियां धीमी या तीव्र गति से सक्रिय हो सकती हैं।

इन ज्वालामुखियों में लवा की बहाव शीघ्र होती है और वे धुएं और विभिन्न गैसों का विस्फोट करती हैं। इनमें आयर्लैंड के माउंट एटना, हवाई के कीलौएआ ज्वालामुखी, इंडोनेशिया के मेरापी ज्वालामुखी, जापान के माउंट फुजी जैसी ज्वालामुखियां शामिल होती हैं।


मृत ज्वालामुखी

मृत ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होती है जो वर्तमान समय में सक्रिय नहीं होती है। इन्हें इंजीनियरिंग और भूवैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयोग किया जाता है। ये ज्वालामुखियां पुरानी सक्रिय ज्वालामुखियों के रूप में होती हैं जो अपनी गति कम कर चुकी होती हैं और अपने ज्वालामुखी छेद में भी धेर सारा बार्फ, धूल और पत्थर जमा होता है।

ये ज्वालामुखियां सामान्यतः समतल तटीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इनमें क्रिस्टीना ज्वालामुखी, इटली के वेसुवियस, अमेरिका के येलोस्टोन जैसी ज्वालामुखियां शामिल होती हैं।


प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी

प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होती है जो वर्तमान समय में सक्रिय नहीं होती है, लेकिन भविष्य में सक्रिय होने की संभावना रहती है। इसे आमतौर पर "इनाक्टिव वोल्केनो" के नाम से भी जाना जाता है।

सुप्त ज्वालामुखियों के अंदर लवा, गैस और अन्य धातुओं की भरमार होती है, जो जब यह उत्सर्जित होती हैं तो ये ज्वालामुखियां सक्रिय हो जाती हैं। इन्हें जाग्रत ज्वालामुखियों से अधिक खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इनके उत्सर्जन की संभावना होती है जो असामान्य और अप्रत्याशित हो सकता है।

उदाहरण के लिए, पिछले 20 साल में हवाई के मौना लोआ और इंडोनेशिया के क्राकतोआ द्वीप समूह में ऐसी सुप्त ज्वालामुखियां सक्रिय हो चुकी हैं जिनसे अप्रत्याशित तरीकों से उत्सर्जन हुआ है जो नुकसान पहुंचाने की संभावना थी।


उद्गार की प्रकृति के अनुसार

केन्द्रीय उद्भेदन वाले ज्वालामुखी

केन्द्रीय उद्भेदन वाले ज्वालामुखी वे ज्वालामुखी होते हैं जो आवरण के मध्य में उत्पन्न होते हैं और अपने उत्सर्जन को बड़ी ताकत के साथ संचालित करते हैं। ये ज्वालामुखियां विशेष रूप से जोखिम के क्षेत्रों में पाई जाती हैं जैसे ज्वालामुखी झील और जंगलों के निकट। इनके उत्सर्जन समय-समय पर होते हैं, और ये उत्सर्जन धातुओं, लावा, गैस और जंगल को नष्ट कर सकते हैं।

इन ज्वालामुखियों के उत्सर्जन के कारण उनमें बड़ी ताकत होती है, और उनका उत्सर्जन बहुत ऊँचाई से भी हो सकता है। इसलिए, इन ज्वालामुखियों से निकट न जाने की सलाह दी जाती है और विशेष रूप से अवसरों पर तत्काल खाली किए जाने वाले इलाकों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

दरारी उद्भेदन वाले ज्वालामुखी

दरारी उद्भेदन वाले ज्वालामुखी वे ज्वालामुखी होते हैं जो दरारों द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये ज्वालामुखियां आवरण के तहत उत्पन्न होती हैं, जिससे धमाके और ध्वनि का असाधारण प्रभाव होता है। इन ज्वालामुखियों का उत्सर्जन उन्हें बड़ी ताकत से संचालित करता है, और धमाके का संचार बड़ी दूरी तक होता है।

दरारी उद्भेदन वाले ज्वालामुखियों के उत्सर्जन से ध्वनि और धमाके के अलावा धुएँ, गैस और लावा के उत्सर्जन भी होते हैं। इन ज्वालामुखियों से खतरा बड़ा होता है, और इन्हें सुरक्षित दूरी से देखना चाहिए। दरारी उद्भेदन वाले ज्वालामुखियों की मुख्य विशेषता यह होती है कि वे अचानक उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे लोगों को अनावश्यक खतरे से निपटना पड़ सकता है।


ज्वालामुखी शंकु के अंग


ज्वालामुखी शंकु के अंग निम्नलिखित होते हैं:

मुख: ज्वालामुखी का मुख वह स्थान होता है जहाँ से धुआं, गैस, और लावा जैसी मदों का उत्सर्जन होता है। इस स्थान पर संक्रमण घटित होता है जो उस समय तक संग्रहित माल को ज्वालामुखी में जमा करता है जब तक वह अपने प्राकृतिक उत्सर्जन के लिए तैयार न हो जाए।

आवरण: आवरण ज्वालामुखी के मुख के ऊपर स्थित होता है जो एक चौड़े वृत्ताकार क्षेत्र को आवृत करता है। यह आवरण मौजूद धातु और पत्थर के संघटन से बना होता है।

वामांचल: वामांचल ज्वालामुखी के आवरण के बाएं हाथ की ओर स्थित होता है। यह ज्वालामुखी के मुख से निकलने वाली लावा, गैस और धुएं को रोकता है और उन्हें एक दिशा में निर्देशित करता है।

दक्षिणांचल: दक्षिणांचल ज्वालामुखी के आवरण के दाएं हाथ की ओर स्थित होता है। यह आवरण के वामांचल के समान काम करता है

मुख्य मग्मा चैम्बर: ज्वालामुखी का मुख्य मग्मा चैम्बर उसके गहनतम स्थान होता है। यह जगह उस स्थान से जुड़ी होती है, जहां से मग्मा के उत्सर्जन की प्रक्रिया शुरू होती है।

मग्मा कमरा: ज्वालामुखी के ऊपरी भाग में मग्मा के कमरे होते हैं। इन कमरों में गर्म मग्मा संग्रहित होता है।

उत्सर्जन नालिका: यह ज्वालामुखी के मुख्य मग्मा चैम्बर से शुरू होता है और उसके माध्यम से मग्मा, लावा, गैस और धुएँ उत्सर्जित होते हैं।

सूक्ष्म उत्सर्जन नालिकाएँ: इन नालिकाओं से ज्वालामुखी से बाहर जाने वाली धुएँ और गैस निकलती हैं।

कंड़ा और पिपासु: ज्वालामुखी का कंड़ा उसके मुख्य भाग का निचला हिस्सा होता है जो धरातल से निकलता है। इसके अलावा, पिपासु ज्वालामुखी का उस भाग को कहते हैं जो मुख्य धमाके के समय आग की चुटकी की तरह निकलता है।

प्लेट विवर्तनिकी और ज्वालामुखी

प्लेट विवर्तनिकी और ज्वालामुखी दोनों के बीच एक संबंध होता है। प्लेट विवर्तनिकी द्वारा धरातल की विभिन्न ऊपरी परतों के विचलन के कारण ज्वालामुखी उत्पन्न होती है। प्लेट विवर्तनिकी द्वारा, दो विभिन्न धरातल की परतों के आसपास दबाव का परिवर्तन होता है, जिससे दो टुकड़ों के बीच सीमांतर धारा उत्पन्न होती है। इस सीमा के समीप ज्वालामुखी के उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में मग्मा बचता है, जो अंत में ज्वालामुखी के उत्सर्जन के रूप में निकलता है।

इसके अलावा, प्लेट विवर्तनिकी के कारण धरातल में तनाव बढ़ता है जो भी ज्वालामुखी के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज्वालामुखी का उत्पादन वहां होता है जहां धरातल की परतें टकराती हैं और पृथ्वी के ऊपरी परतों में दबाव का बढ़ना होता है। यह दबाव धीरे-धीरे मग्मा को निचले स्तर तक ले जाता है, जहां उसे सुखाने और तापमान बढ़ाने का अवसर मिलता है।

ज्वालामुखी और जलवायु परिवर्तन

ज्वालामुखी और जलवायु परिवर्तन एक दूसरे से गहरी तरह संबधित होते हैं। ज्वालामुखियों का उत्पादन जलवायु परिवर्तन के कुछ मुख्य कारकों से प्रभावित होता है, जैसे तापमान, तरलता, दबाव, और दूसरे घटक।

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्वालामुखियों का अधिक उत्पादन होता है, क्योंकि उन क्षेत्रों में तापमान और दबाव उच्च होते हैं। इसके अलावा, उच्च तापमान के कारण, मग्मा का प्रवाह भी बेहतर होता है जो ज्वालामुखी के उत्पादन में मदद करता है। जब तापमान बढ़ता है तो विशेष रूप से मौसम विस्तार और जलवायु परिवर्तन के कारण मग्मा का उत्पादन बढ़ता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण भी ज्वालामुखियों का उत्पादन प्रभावित होता है। जब बारिश या हिमपात होता है, तो वृद्धि होती है, जो मग्मा को शीघ्र ही सुखा देती है। वायुमंडल में उच्च और मध्यम तापमान वाले क्षेत्रों में ज्वालामुखियों का उत्पादन अधिक होता है।

दुनिया में कई प्रमुख ज्वालामुखियां हैं, यहाँ कुछ उल्लिखित हैं:

मॉन्ट पेले, मॉरीशस - यह दुनिया का सबसे ऊँचा एक्टिव ज्वालामुखी है, जिसकी ऊँचाई लगभग 8,000 फीट है।

वेसुवियस, इटली - यह एक्टिव ज्वालामुखी है और नापोली के करीब स्थित है। यह इतिहास के साक्षी है और आज भी संभवतः सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों में से एक है।

किलाविया, हवाई द्वीप समूह - यह दुनिया का सबसे अधिक एक्टिव ज्वालामुखी है। इसका अर्थ है कि यह हमेशा सक्रिय रहती है।

माउंट सेंट हेलेन, सेंट हेलेना द्वीप समूह - इस ज्वालामुखी का आउटब्रेक 1980 में एक खतरनाक आक्रमण के साथ आया था, जिसमें कुछ लोगों की मृत्यु हो गई थी।

येल्लोस्टोन ज्वालामुखी, येल्लोस्टोन राष्ट्रीय उद्यान - यह अमेरिका का सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी है और विश्व के सबसे बड़े सुपरवोल्केनों में से एक है।


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.