ईएसजी-पर्यावरण, सामाजिक और शासन environmental, social, and corporate governance,ESG meaning,ESG investing

 


ईएसजी या Environmental, Social, and Governance (ESG) पर्यावरणीय, सामाजिक और शासनिक पक्षों के मानकों को उपयोग करता हुआ एक निवेश तकनीक है। इस तकनीक का उद्देश्य निवेशकों को एक संबलित मानक द्वारा उनके निवेश के फलस्वरूप आने वाली पर्यावरणीय, सामाजिक और शासनिक प्रभावों को मापने में मदद करना है।

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पर्यावरणीय पक्ष से देखा जाए तो, ESG तकनीक के माध्यम से निवेशकों को कंपनी के पर्यावरणीय प्रभावों को मापने और समझने में मदद मिलती है। यह कंपनियों के उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग किए गए सामग्रियों, ऊर्जा संयत्रों और एमिशन ग्रीनहाउस गैसों को शामिल करता है।

सामाजिक पक्ष से देखा जाए तो, ESG तकनीक के माध्यम से निवेशकों को कंपनियों के सामाजिक प्रभावों को मापने और समझने में मदद मिलती है। इसमें वे लाभान्वित होते हैं जो कंपनी ने अपने कर्मचारियों, समुदायों और स्थानीय आर्थिक परिसंघों के साथ कैसे बर्ताव किया है।


पर्यावरण, सामाजिक और शासन क्या है (ईएसजी)?


ईएसजी का अर्थ होता है "Environment, Social, and Governance"। यह एक निवेशकों द्वारा आधारित मानक है जो कम्पनियों के विकास और संचालन में संभावित पर्यावरणीय, सामाजिक और शासनिक प्रभावों का मूल्यांकन करता है।

इसका मुख्य उद्देश्य होता है कि निवेशक को कम्पनी के सामाजिक, पर्यावरणीय और शासनिक प्रदर्शन की जानकारी होती हो, ताकि वे विश्वसनीय और उच्च निवेश का फैसला कर सकें। इसके तहत, निवेशकों को कम्पनी की समाज और पर्यावरण में उत्पन्न किए जाने वाले प्रभाव, सामाजिक उत्थान, ग्राहक उत्साह और संगठनात्मक शासन के माध्यम से कम्पनी के लाभों का मूल्यांकन करने की संभावना होती है।

इस तरह के मानकों के अनुसार, निवेशक उन कम्पनियों को चुन सकते हैं जो अपने व्यवसाय के दौरान पर्यावरण और समाज के प्रति जवाबदेह होते हैं और उच्च शासन प्रथाओं का पालन करते हैं।

पर्यावरण एक शब्द है जो मानव जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है। इसमें वातावरण, जैव विविधता, जल, वनस्पति, वनों, विकास, जलवायु और प्रदूषण जैसे मुख्य मुद्दे शामिल हैं। पर्यावरण आमतौर पर धरती पर समझौते का माध्यम होता है जो हमारे और आने वाले पीढ़ियों के लिए स्थायी रूप से आवश्यक होता है।

सामाजिक अर्थव्यवस्था और समाज के संबंधों को समझने और उनके अध्ययन के लिए सामाजिक विज्ञान का उपयोग किया जाता है। सामाजिक विज्ञान विभिन्न समाज विज्ञानों के संयुक्त मूल्यांकन के माध्यम से समाज को विश्लेषित करता है। इसमें समाज के संगठन, संस्कृति, राजनीति, आर्थिक विकास, जाति, लिंग, धर्म और संगठित आवाज़ समेत हैं।

शासन समाज के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने के लिए एक संस्था होता है। यह संस्था राज्य, केंद्र और स्थानीय स्तर पर हो सकती है। इसके द्वारा कानून बनाए जाते हैं, नीतियां तैयार की जाती है

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ईएसजी का विकास

ईएसजी का विकास निवेशकों की मांग से हुआ है, जो चाहते हैं कि वे निवेश करने से पहले कम्पनियों के सामाजिक, पर्यावरणीय और शासनिक प्रदर्शन के बारे में पूरी जानकारी होती हो।

ईएसजी का विकास वित्तीय वर्ष 2004-05 में शुरू हुआ था, जब निवेशकों ने अमेरिकी कंपनियों के शासनिक प्रदर्शन को मूल्यांकन करने के लिए एक उपयोगी मापदंड विकसित किया था। इसके बाद, इस मापदंड को अन्य देशों में भी अनुपालन करने की मांग बढ़ी।

अधिकांश देशों में, ईएसजी आधारित मानकों को विकसित करने की जरूरत को महसूस करते हुए समुदायों, विनियामक निकायों, निवेशकों और कंपनियों के सहयोग से ईएसजी नियमों को विस्तारित किया गया है।

आज, ईएसजी के मानक निवेशकों द्वारा उपयोग किए जाते हैं जो इन मानकों के अनुसार कंपनियों के विकास और संचालन के पर्यावरणीय, सामाजिक और शासनिक प्रभावों का मूल्यांकन करते हैं।


भारत में ईएसजी

  • भारत में ईएसजी ने अपना पैरोकारी बढ़ाते हुए विस्तार किया है। भारत के पहले ईएसजी निवेश फंड को 2009 में शुरू किया गया था।
  • भारत में ईएसजी निवेशों को मानक बनाने के लिए, संबंधित विभागों ने निम्नलिखित मार्गदर्शक निर्देश जारी किए हैं:
  • भारतीय कंपनियों को शासनिक, पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों के अनुसार मूल्यांकन करना चाहिए।
  • निवेशकों को कंपनी के संबद्ध बैठकों में भाग लेना चाहिए ताकि वे अपने सवालों का जवाब तुरंत प्राप्त कर सकें।
  • ईएसजी के मानकों के अनुसार, भारतीय कंपनियों को दैनिक गतिविधियों के अलावा अनुदानों, कार्यकर्ताओं की भर्ती, नीतियों और कानूनों का विवरण भी प्रदान करना चाहिए।
  • भारतीय कंपनियों को अपने पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने और कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।


चुनौतियाँ

ईएसजी के कुछ मुख्य चुनौतियों में शामिल हैं:

लोगों की जागरूकता और जानकारी की कमी: बहुत कम लोगों को ईएसजी के बारे में पता होता है और इसे समझने की जरूरत होती है। लोगों को ईएसजी के महत्व को समझाने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है।

संबंधित विभागों के अभाव: ईएसजी को लागू करने वाले नियमों का पालन करने के लिए संबंधित विभागों में काफी कमी है। इससे कई बार ईएसजी को लागू करने में समस्या उत्पन्न होती है।

निगरानी और नियंत्रण की कमी: भारत में ईएसजी का पालन करने वाली संस्थाओं को निगरानी और नियंत्रण करने की कमी है। इससे नियमों का पालन करने में देरी होती है और इससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।

संगठन की कम ताकत: ईएसजी को पालन करने के लिए कंपनियों और संगठनों की कम ताकत होती है। इससे ईएसजी के नियमों का पालन करने में कई बार समस्या उत्पन्न होती है।


आगे का रास्ता

ईएसजी के अधिक सफल लागू होने के लिए, हमें इन चुनौतियों का सामना करना होगा और इन्हें हल करने की जरूरत होगी। कुछ महत्वपूर्ण कदम इस दिशा में निम्नलिखित हैं:


जागरूकता को बढ़ाना: लोगों को ईएसजी के महत्व को समझाने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। सरकार और निजी सेक्टर दोनों को साथ मिलकर इस जागरूकता को बढ़ाने की जरूरत होती है।


संबंधित विभागों को सुदृढ़ करना: संबंधित विभागों को सुदृढ़ करने के लिए जरूरी है कि वे ईएसजी के नियमों का पालन करने के लिए तैयार हों। सरकार को इन विभागों की क्षमताओं को सुधारने और उन्हें आवश्यक संसाधनों से लैस करने की जरूरत होती है।


निगरानी और नियंत्रण को बढ़ाना: ईएसजी को पालन करने वाली संस्थाओं की निगरानी और नियंत्रण को बढ़ाने की जरूरत है। सरकार को इस दिशा में उन्हें आवश्यक संसाधनों और क्षमताओं के साथ सुदृढ़ करने की जरूरत होती है।






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