भारत में बाबर को किसने बुलाया था? Babar koun tha
बाबर कौन था
बाबर (जन्म: 14 फरवरी 1483, मृत्यु: 26 दिसंबर 1530) एक मुगल शासक था जो भारत के शासनकाल में राज्य करते थे। उन्होंने अपनी जीवनी में "बाबर नामा" के रूप में अपनी जीवन की कहानी को लिखा था।
बाबर का जन्म उज़्बेकिस्तान के अंदर बाबुरनामा कहलाने वाले एक शहर फर्गाना में हुआ था। उनका असली नाम जहांगीर था लेकिन वे अपने बाप उमर शेख मीर्ज़ा के बाद "बाबर" के नाम से जाने जाते थे।
बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में इस्लामी सल्तनत की अस्थायी विजय प्राप्त की थी और बाद में वे दिल्ली सल्तनत के पास कुछ राज्यों को जीतने के बाद अपनी राजधानी आगरा में स्थापित करने गए। उनके पुत्र अकबर ने बाबर के शासन को नए ऊँचाईयों पर ले जाकर भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
Babar koun tha |
भारत में बाबर को किसने बुलाया था?
बाबर को भारत में आमंगलेरी युद्ध के बाद 1526 ईस्त में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोधी को हराने के बाद दिल्ली पर राज करने के लिए उसके रिश्तेदार दोस्त और साथियों ने बुलाया था। बाबर उस समय उत्तरी भारत में अपने विस्तृत साम्राज्य के खोज में था।
बाबर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति
बाबर के आक्रमण के समय, भारत एक विविध राज्यों का समूह था जो अलग-अलग राजनीतिक संगठन और स्वतंत्रता के साथ अपनी अलग-अलग आधारभूत आर्थिक व्यवस्थाओं को बनाए रखते थे। उनमें से कुछ स्थानों पर अन्याय के खिलाफ विरोध और स्वतंत्रता की मांग उठ रही थी। बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में इस्लामी सल्तनत की अस्थायी विजय प्राप्त की थी।
बाबर के आक्रमण के समय भारतीय राज्यों के बीच समझौते और संघर्ष के अवसर थे। वे अकबर के पूर्वज तीमूर लंग और अखबरी शासकों की तुलना में अधिक बाहरी थे, जिन्होंने अपने आक्रमणों के दौरान धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विरोध के खिलाफ खूब लड़ाई लड़ी थी।
बाबर ने अपने शासन के दौरान अनेक धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को अपने साथ एकीकृत करने का प्रयास किया था। वह अपने समय के अधिकांश राजाओं की तुलना में एक सबसे अधिक ताकतवर और उद्देश्य संगठित थे
बाबर का इतिहास
बाबर (1483-1530) मुगल साम्राज्य के संस्थापक थे। वह उज्जैन से था और उसके असली नाम ज़ाहिरुद्दीन मुहम्मद था। उनके पिता उमर शेख मिर्ज़ा थे, जो फर्गाना के एक तुकदी के राजा थे।
बाबर के जीवन का पहला अध्याय उनकी जिन्दगी के शुरुआत से लेकर 11 वर्ष की उम्र तक का होता है। उन्हें बचपन से ही अपने पिता की तरह राजनीति और शासन के बारे में शिक्षा दी गई थी। उनके पिता का मृत्यु 1494 में हुआ था, जिसके बाद उन्हें फर्गाना के राज्य का नेतृत्व संभालना पड़ा।
बाबर ने उस समय उत्तर-पश्चिमी भारत में राज्यों के बीच शक्ति के विभिन्न स्तरों पर एक तरंग के रूप में अपनी उपस्थिति बनाई। उन्होंने कई शासकों से जंग लड़ी और उन्हें अपने अधीन कर लिया।
1504 में उन्हें उनकी जंग के बाद अकबराबाद में शासन करने का मौका मिला। यहीं से उन्होंने अपनी अगली यात्रा शुरू की, जो आगे चलकर उन्हें दिल्ली तक ले गई।
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