भारत में शरणार्थी Refugees in India - Status, Challenges, Policies, Solutions

 भारत में शरणार्थी

भारत में शरणार्थी एक बड़ी समस्या है। भारत एक बड़े विकासशील देश होने के बावजूद, अधिकांश लोग अपनी आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याओं के कारण भटकते रहते हैं और शरणार्थी बन जाते हैं।

भारत में शरणार्थी


भारत में शरणार्थियों को सहायता और आश्रय के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा कई योजनाएं चलाई जाती हैं। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएं हैं जैसे कि प्रधान मंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, महात्मा गांधी नरेगा योजना और आधार कार्ड योजना इत्यादि।

इसके अलावा, कुछ गैर सरकारी संगठन और दान देने वाले लोग भी शरणार्थियों की मदद करते हैं। उनमें से कुछ अधिक लोकप्रिय संगठन हैं जैसे कि सलवास इंडिया, गो अभयारण्य इत्यादि।

शरणार्थियों की समस्या का समाधान करने के लिए, समाज में सचेतता फैलाने के लिए एक सक्रिय भूमिका निभाना भी अति महत्वपूर्ण है।


शरणार्थी कौन है?

"शरणार्थी" एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ होता है "आश्रय को ढूंढने वाला" या "संरक्षण की तलाश में होने वाला व्यक्ति"। इस शब्द का उपयोग सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, भटके हुए लोगों और असहाय लोगों को संरक्षण और सहायता के लिए किया जाता है। इसे एक धार्मिक अर्थ में भी इस्तेमाल किया जाता है, जहां शरणार्थी धार्मिक संगठन द्वारा आश्रय दिया जाता है और उन्हें धर्म से संबंधित सहायता और शिक्षा दी जाती है।


शरणार्थियों से संबंधित डेटा

भारत में शरणार्थियों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण डेटा निम्नलिखित हैं।

  • भारत में लगभग 1.77 करोड़ शरणार्थी हैं। (साल 2019-20 के अनुमान के अनुसार)
  • भारत के शहरी क्षेत्रों में 24.4 लाख शरणार्थी हैं। (साल 2011 की जनगणना के अनुसार)
  • भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 1.53 करोड़ शरणार्थी हैं। (साल 2011 की जनगणना के अनुसार)
  • भारत में महिला शरणार्थियों की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है। (साल 2019-20 के अनुमान के अनुसार)
  • अधिकांश शरणार्थियों का मुख्य कारण आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याएं होती हैं।
  • कोविड-19 महामारी के कारण, भारत में शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • भारत में शरणार्थियों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं हैं, जिनमें से कुछ उन्हें आश्रय, खाद्य, स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित सुविधाएं प्रदान करती हैं।


आज़ादी के बाद भारत में शरणार्थियों की आमद


आजादी के बाद, भारत में अनेक अन्तरराष्ट्रीय घटनाओं ने शरणार्थियों की आमद को बढ़ावा दिया। उनमें से कुछ अहम घटनाएं निम्नलिखित हैं:

1947 के विभाजन: भारत के विभाजन के समय लाखों लोगों को अपने घरों और देशों से बाहर निकालने के बाद शरणार्थियों के रूप में उनकी संख्या बढ़ गई।

1962 का सीमा संघर्ष: 1962 में भारत और चीन के बीच हुए सीमा संघर्ष में, कई लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा जो शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि कर दी।

1971 का बांग्लादेश युद्ध: 1971 में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में, लाखों लोगों को अपने घरों से बाहर निकालने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो शरणार्थियों की संख्या को बढ़ा दिया।

आज़ादी के बाद भारत में शरणार्थी बाढ़ के कारण

भारत में बाढ़ के कारण शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है। बाढ़ की वजह से आकस्मिक बाढ़ के दौरान लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना पड़ता है जो उन्हें शरणार्थियों का दर्जा देता है।

इसके अलावा, बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सुविधाओं की कमी होती है जो उन्हें अन्य स्थानों में शरण ढूंढने के लिए मजबूर करती है। इस तरह, बाढ़ के कारण शरणार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है।

भारत में बाढ़ से प्रभावित कुछ मुख्य क्षेत्रों में उन्नत सुविधाओं की कमी होती है जो शरणार्थियों को उनके घरों से बाहर निकलने के लिए मजबूर करती हैं। इन क्षेत्रों में उन्नत सड़कों, पुलों, सेतु बंदों और सुरक्षित जल संचार जैसी सुविधाएं नहीं होती हैं। इससे, बाढ़ से प्रभावित लोगों को शरणार्थी बनने के लिए मजबूर होना पड़ता है।


भारत में शरणार्थियों की समस्या


भारत में शरणार्थियों की समस्याएं कई हैं। यह एक बड़ी समस्या है जिसे हमेशा से देश में मौजूद रहा है।

कुछ मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं:

घर का न होना: बहुत से लोग भारत में घर के बिना रहते हैं। ऐसे लोगों को रात्रि भर के लिए शरण स्थान ढूंढना पड़ता है।

अस्तित्व न होना: कुछ लोगों को शरण स्थान मिलता है लेकिन उनके नाम अस्तित्व में नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में वे आर्थिक सहायता और सरकारी सुविधाओं के लिए पात्र नहीं होते हैं।

जगह की कमी: बड़ी शहरों में जगह की कमी होती है, जिससे शरणार्थियों को ठहरने के लिए मुश्किल होती है।

सुविधाओं की कमी: शरणार्थियों को आवश्यक सुविधाएं जैसे खाने-पीने की व्यवस्था, स्वच्छता और मौजूदगी में आसानी से नहीं मिलती है।

बढ़ती संख्या: बढ़ती जनसंख्या के साथ शरणार्थियों की संख्या भी बढ़ रही है।


भारत की शरणार्थी नीति

भारत में शरणार्थी नीति कई वर्षों से लागू है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में आश्रय, संरक्षण और आराम सुविधाओं के साथ शरणार्थियों को प्रदान करना है।

भारत में शरणार्थियों की नीति के तहत कुछ मुख्य उपाय हैं:

आश्रय सुविधाएं: शरणार्थियों को आश्रय देने के लिए नए आवास परियोजनाओं की शुरुआत की गई है। इन आवासों में उन्हें रहने के लिए सुविधाएं जैसे कि स्वच्छता, पानी, बिजली और खाने-पीने की व्यवस्था होती है।

जीवन सुविधाएं: शरणार्थियों को आवश्यक जीवन सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, स्वच्छता, खाने-पीने की व्यवस्था और मेडिकल सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

समाज सेवाएं: शरणार्थियों को समाज सेवाएं जैसे शिक्षा, नौकरी, योग्यता अनुसार प्रशिक्षण और सामूहिक चिकित्सा सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं।


भारत में शरणार्थियों को संभालने के लिए कानूनी ढांचा


भारत में शरणार्थियों को संभालने के लिए कई कानूनी ढांचे हैं। कुछ मुख्य कानून इस प्रकार हैं:

शरणार्थी अधिकार अधिनियम 2005: इस अधिनियम के तहत, शरणार्थियों को उनके अधिकारों के लिए संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसमें उनकी संरक्षा, आश्रय, जीवन सुविधाएं और उन्हें संबोधित करने के संबंधी विवरण शामिल होते हैं।

विदेशी नागरिक (निबटान अधिनियम) 1946: इस अधिनियम के तहत विदेशी नागरिकों की देखभाल और उन्हें भारत से निकालने के संबंध में नियम बनाए गए हैं।

राष्ट्रीय जल-संरक्षण अधिनियम 1986: यह अधिनियम जल संरक्षण, जल प्रदूषण और जल संरचना के संबंध में विवरण प्रदान करता है। यह अधिनियम शरणार्थियों को स्थायी जल संरचनाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करता है।






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