भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में 1857 से पहले एवं बाद में उत्तर प्रदेश का योगदान
1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले उत्तर प्रदेश में अनेक उद्घाटन हुए थे, जिनसे इसके जनसाधारण का संघर्ष स्पष्ट होता है।
उत्तर प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत के समय, भारत के विभिन्न हिस्सों में इस आंदोलन का समर्थन था। उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इस संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई गई थी। उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों के खिलाफ अन्य स्थानों की तुलना में अधिक संख्या में विद्रोह हुआ था।
भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में 1857 से पहले एवं बाद में उत्तर प्रदेश का योगदान |
1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद उत्तर प्रदेश की स्थिति बदल गई थी। अब तक उत्तर प्रदेश ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत था, लेकिन इस संघर्ष के बाद स्थानीय लोगों ने इसकी स्वतंत्रता की मांग की। उत्तर प्रदेश में इस संघर्ष के दौरान अनेक स्वतंत्रता सेनाओं ने उपस्थित होकर लड़ाई लड़ी थी।
उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य क्षेत्रों से भी सेनाओं का समर्थन मिला था। अंततः, स्वतंत्रता संग्राम के बाद उत्तर प्रदेश भारत के एक प्रमुख राज्य बन गया
महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों की सूची -
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अ अनेक नेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान दी थी। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों के नाम निम्नलिखित हैं:
बेगम हजरत महल
बेगम हज़रत महल का नाम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी बहुत महत्वपूर्ण रहा। उस समय लखनऊ में बेगम हज़रत महल एक मुख्य केंद्र था, जहां बड़ी संख्या में विद्रोहियों ने अपनी आवाज उठाई थी।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बेगम हज़रत महल में एक भारी संघर्ष देखा गया था। वहां से निकले शांतिपूर्ण आंदोलन ने बहुत जलवे दिखाए थे। यहाँ से निकली कुछ महिलाएं भी जिन्हें रानी लक्ष्मीबाई के समक्ष उत्तर प्रदेश में लड़ाई लड़ने का सम्मान प्रदान किया गया था।
उन दिनों बेगम हज़रत महल ने विद्रोहियों के लिए सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण संग्रहण स्थल बना लिया था। जब अंग्रेजों ने लखनऊ के विद्रोहियों को मार दिया था, तो बेगम हज़रत महल और उसके आसपास कई भारतीयों को भी मार दिया गया था। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक अंतिम संग्रामों में से एक था जो बेगम हज़रत महल में लड़ा गया था।
चंद्रशेखर आज़ाद:
उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे भारत के स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले मुख्य नेताओं में से एक थे।
राजेंद्र लाल मित्र:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे। वे उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में जन्मे थे और अंग्रेजों के खिलाफ अपनी जान का खेल खेलते थे।
रामप्रसाद बिस्मिल:
उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए एक अंतिम संदेश भेजा था जो उनकी आत्मा को शांति देने के लिए अंग्रेजों द्वारा फाँसी के फंदे में लटकाए जाने से पहले उन्होंने कहा था।
बख्त खान
बख्त खान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ था और वे अपने जीवन के अधिकांश समय इसी राज्य में रहे थे।
बख्त खान का असली नाम माउलवी मोहम्मद खान था और वे एक शिक्षित मुस्लिम धर्मगुरु थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई।
बख्त खान को अंग्रेज सरकार ने 1857 में गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें उपद्रवियों में से एक माना गया था और उन्हें एक शासनाधिकारी की हत्या करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। उन्हें फाँसी की सजा दी गई थी।
मंगल पाण्डेय
मंगल पांडेय उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह अंग्रेजी शासन के खिलाफ सड़कों पर उतरे और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। वह अपनी बहादुरी और संघर्ष के लिए जाने जाते हैं।
मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई 1885 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही शिक्षा लेना बंद कर दिया था और उन्हें अपने परिवार की मदद करने के लिए काम करना पड़ता था।
उनका संग्राम 1920 में महात्मा गांधी के नेशनल मूवमेंट के समय शुरू हुआ था। मंगल पांडेय उस समय अंग्रेजों के विरोध में बड़े स्तर पर संगठित हो गए थे। 1922 में, उन्होंने चौथी लखनऊ अधिवेशन का आयोजन किया था जिसमें वे स्वराज के लिए मंच पर उतरे थे।
परंतु, 1922 में चौथी लखनऊ अधिवेशन के बाद वे अंग्रेजों द्वारा काला कानून लागू कराने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे।
झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई -
रानी लक्ष्मीबाई उत्तर प्रदेश के झांसी राज्य की रानी थीं। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योद्धा थीं। वह अपनी बहादुरी और अपनी स्वतंत्रता के लिए जाने जाते हैं।
लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के झांसी राज्य में शासन करने वाले महाराजा गंगाधर राव की रानी थीं।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में, लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपनी सेना के साथ बहादुरी से झांसी की रक्षा की और अंग्रेज सेना को हराया। लेकिन अंततः, उनकी सेना को भारी हानि हुई और उन्हें झांसी छोड़कर भागना पड़ा।
लक्ष्मीबाई ने अपनी लड़ाई के लिए बहुत सारे लोगों को प्रेरित किया था और वह एक बड़ी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में याद की जाती हैं। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान दी और अमर बलिदान दिया।
राव कदम सिंह -
राव कदम सिंह उत्तर प्रदेश के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योद्धा थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपनी सेना के साथ लड़ाई लड़ी और अपने जीवन की रक्षा के लिए अपनी बहादुरी का परिचय दिया।
राव कदम सिंह का जन्म 31 जुलाई 1857 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योद्धा थे।
राव कदम सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत सारे अहम लड़ाईयों में भाग लिया था। उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उन्हें हराने में सहायता की। राव कदम सिंह अपने देश के लिए जीवन का बलिदान दिया और उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।
झलकारी बाई -
झलकारी बाई उत्तर प्रदेश के एक महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। वह महिला सेनानी थीं जिन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर, 1830 को उत्तर प्रदेश के भितौली गाँव में हुआ था। उनका विवाह राजा विक्रमादित्य सिंह से हुआ था जो कि झाँसी के राजा थे।
झलकारी बाई ने झाँसी के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ संगठित होकर ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने जीवन का बलिदान दिया। झलकारी बाई ने झाँसी की रानी के साथ मिलकर कई जंगों में भाग लिया और अपनी बहादुरी का परिचय दिया। वे अपने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान की भी परवाह नहीं करते थे और हमेशा ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहते थे।
मौलवी लियाकत अली -
मौलवी लियाकत अली उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। वह एक मुस्लिम धर्म गुरु थे जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया।
मौलवी लियाकत अली का जन्म 1869 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी जान की परवाह किए बिना इस संग्राम में अपना योगदान दिया। वे महात्मा गांधी के साथ आंदोलन करते थे और उनके संगठन का सदस्य भी थे।
मौलवी लियाकत अली ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी विद्या और स्वभाव का उपयोग कर अपनी भूमिका निभाई। वे जनता के बीच जाकर जागरूकता फैलाने में लगे रहे और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपने शिष्यों को भी उत्तेजित करते रहे।
आसफ अली -
आसफ अली उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया।
आसफ अली का जन्म 1888 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था। वे एक शिक्षित और समाजसेवी व्यक्ति थे जिन्होंने देश को आजादी की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए। वे अपने लोकप्रियता के कारण राजनीति में भी शामिल हुए और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष करने लगे।
आसफ अली ने कई ऐसे आंदोलनों में भाग लिया जिन्होंने देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक बार जेल जाना पड़ा, लेकिन वे हमेशा अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहे।
आसफ अली ने नेहरू वाद के समर्थकों की एक प्रमुख शाखा बनाई थी, जिसके नेतृत्व में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अधिकतम संघर्ष किया था।
अशफाकउल्लाह खान
अशफाकउल्लाह खान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण संघर्षक थे। वह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्मे थे।
उन्होंने अपनी शिक्षा को छोड़ दिया था ताकि वह भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर सके। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ अपनी जान दाँव पर लगा दी थी।
अशफाकुल्लाह खान ने आजादी के लिए विभिन्न विधियों का इस्तेमाल किया था, जिसमें नारों, प्रदर्शनों, आंदोलनों और सत्याग्रह जैसे तरीकों को शामिल किया गया था।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई अहम भूमिकाओं का निर्वहन किया था, जिनमें ककोरी कांड (1925), भारत चोड़ो आंदोलन (1942) और अंग्रेजों के खिलाफ नॉन कॉऑपरेशन आंदोलन (1920) शामिल थे।
अशफाकुल्लाह खान का संघर्ष और योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत को आजादी के रास्ते पर आगे बढ़ाया था।
गणेश शंकर विद्यार्थी -
गणेश शंकर विद्यार्थी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक जनप्रिय संघर्षक थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश में बहुत सारे अहम संघर्षों में भाग लिया था। वह उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में जन्मे थे।
वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधीजी के साथ जुड़े और अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह और नॉन कॉऑपरेशन आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई जेलों में जाकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
गणेश शंकर विद्यार्थी ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने बड़े योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके संघर्ष ने भारत की स्वतंत्रता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में मदद की थी और उनकी भूमिका एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में मानी जाती है।
गोविंद बल्लभ पंत -
गोविंद बल्लभ पंत भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण संघर्षक थे जो उत्तर प्रदेश से थे। वह 10 सितंबर, 1887 को उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले में जन्मे थे।
गोविंद बल्लभ पंत एक ज्ञानी, समाज सुधारक, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ थे जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने सत्याग्रह, ग्राम स्वराज्य, जीवन्ती आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अनेक संघर्षों में भाग लिया।
गोविंद बल्लभ पंत ने अपनी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से भी स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में अपना संदेश पहुंचाया। उनकी कविताओं में भारत की आज़ादी की इच्छा, राष्ट्र के समृद्धि और लोगों के विकास का संदेश छिपा होता था।
गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।
आदि सवतंत्रता सेनानियो ने भाग लिया
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