संघ लोक सेवा आयोग UPSC
संघ लोक सेवा आयोग
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत की एक महत्वपूर्ण संस्था है जो सरकारी संस्थाओं और विभिन्न आयोगों के लिए भर्ती प्रक्रिया का आयोजन करती है। इसके माध्यम से, भारत सरकार विभिन्न स्तरों के लोक सेवाओं के लिए उम्मीदवारों को चयन करती है।
UPSC की स्थापना 1 अक्टूबर 1926 को की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। UPSC की भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों को सिविल सेवा परीक्षा, भारतीय वन सेवा परीक्षा, इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा, इंडियन एक्सप्रेस सेवा इत्यादि के लिए भर्ती किया जाता है।
UPSC के अलावा भारत में राज्य स्तर पर भी लोक सेवा आयोग होते हैं जो अपने राज्य के लिए स्थानीय स्तर पर भर्ती प्रक्रिया का आयोजन करते हैं।
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संघ लोक सेवा आयोग की संरचना
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वतंत्र और स्थायी आयोग है, जो सभी भारतीय संघ राज्यों के लिए सशस्त्र बल, सिविल सेवा, औद्योगिक उपचार और अन्य संगठनों के लिए केंद्रीय स्तर पर पदों की भर्ती करता है।
UPSC का मुख्यालय नई दिल्ली में होता है और इसके अलावा इसके कुछ कार्यालय भारत के अन्य शहरों में भी होते हैं। UPSC भर्ती और चयन प्रक्रियाओं के लिए एक संरचित समिति द्वारा नियंत्रित होता है, जिसमें आयोग के सदस्यों के अलावा कुछ अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
UPSC में कुल 10 सदस्य होते हैं, जिनमें एक अध्यक्ष और एक अध्यक्ष के समकक्ष सदस्य शामिल होते हैं। आयोग के सदस्यों का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है या तब तक जब तक उनकी उम्र 65 वर्ष न हो जाए।
UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
अध्यक्ष व सदस्यों की पदावधि
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है या तब तक जब तक उनकी आयु 65 वर्ष से कम नहीं हो जाती। आयोग के सदस्यों का नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इन पदों पर फिर से नियुक्ति की जा सकती है।
अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि के अंतिम तिथि से पहले उन्हें अधिकारिक तौर पर अपना पद छोड़ना पड़ता है। वे अपनी पदावधि के दौरान सम्पूर्ण निष्पक्षता व समर्पण के साथ आयोग के कार्य का पालन करते हैं।
UPSC के सदस्यों के नियुक्ति अलग-अलग समयों पर होती है और वे संघ के विभिन्न राज्यों से चुने जाते हैं। उन्हें संसद द्वारा बनाए गए नियमों और विधियों के अनुसार नियुक्ति किया जाता हैं।
संघ लोक सेवा आयोग के कार्य
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत सरकार के अधीनस्थ संस्था है जो भारतीय नागरिकों के लिए विभिन्न स्तरों के सरकारी नौकरियों की भर्ती के लिए जिम्मेदार है। UPSC की स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 को की गई थी।
UPSC के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
संघ लोक सेवा परीक्षा के आयोजन: संघ लोक सेवा परीक्षा (Civil Services Examination) भारत की सबसे लोकप्रिय परीक्षाओं में से एक है जो विभिन्न संयुक्त सेवा निर्धारित करती है। UPSC इस परीक्षा का आयोजन करता है।
भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) के लिए भर्ती: UPSC भारतीय वन सेवा के लिए भी भर्ती करता है।
संघ सामान्य सेवा (Group A और Group B) के लिए भर्ती: UPSC भारतीय संघ सामान्य सेवा की सभी परीक्षाओं का आयोजन करता है, जिसमें IAS (Indian Administrative Service), IPS (Indian Police Service), IFS (Indian Foreign Service) जैसी पदों की भर्ती शामिल होती है।
विभिन्न संयुक्त सेवा के लिए भर्ती:
UPSC विभिन्न संयुक्त सेवाओं की भर्ती के लिए भी जिम्मेदार है। इनमें शामिल हैं:
भारतीय इंजीनियरी सेवा (Indian Engineering Service): इस सेवा में भारतीय रेलवे सेवा (Indian Railway Service of Engineers), भू-संसाधन संगठन (Central Engineering Service), सेना इंजीनियरिंग सेवा (Military Engineer Service) और भौतिक अभियांत्रिकी सेवा (Indian Defense Service of Engineers) जैसी सेवाएं शामिल होती हैं।
भारतीय स्टैटिस्टिकल सेवा (Indian Statistical Service): यह सेवा संख्या-विज्ञान से संबंधित होती है और संख्या-विश्लेषण, सांख्यिकीय मॉडलिंग और आर्थिक विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में काम करती है।
भारतीय वैज्ञानिक सेवा (Indian Scientific Service): यह सेवा वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान से संबंधित होती है।
भारतीय नौसेना सेवा (Indian Naval Service): यह सेवा भारतीय नौसेना में काम करने के लिए चयनित उम्मीदवारों की भर्ती करती है।
भारतीय वायु सेना सेवा (Indian Air Force Service): इस सेवा में भारतीय वायु सेना में काम करने के लिए चयनित उम्मीदवारों की भर्ती की जाती है।
इन सेवाओं के अलावा UPSC अन्य संयुक्त संयुक्त सेवा के लिए चयनित उम्मीदवारों की भर्ती की जाती है।
आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को संविधान द्वारा प्रदत्त सुरक्षा
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों को संविधान द्वारा प्रदत्त सुरक्षा है। संविधान के अनुच्छेद 316 से 319 तक उन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए सुरक्षित किया गया है।
इन अनुच्छेदों के तहत, UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों को दूसरे कामगारों से भिन्न रूप से श्रेणीबद्ध किया गया है और उनके नियुक्ति, उनकी हटाई जाने या उन्हें सजा दी जाने से पहले विशेष तौर पर संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, उन्हें उनके नियुक्ति के दौरान अन्य भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की तरह नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए निष्पक्षता और न्यायपूर्णता का खास ध्यान रखना होता है।
इस तरह संविधान द्वारा UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों को सुरक्षा देने से, वे संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों को निष्पक्षता, न्यायपूर्णता और स्वतंत्रता से कर सकते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की पुनर्नियुक्ति
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की पुनर्नियुक्ति के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है। उन्हें उनकी नियुक्ति के लिए अस्थायी रूप से नियुक्त किया जाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 316 से 319 तक तय की गई प्रक्रिया के अनुसार होती है।
UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए अस्थायी रूप से नियुक्ति किए जाने के बाद, वे स्वयं संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य होते हैं। उन्हें उनके पद की अवधि के अंत में या उनके समय सीमा के अंत में अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए नियमित रूप से नई नियुक्ति नहीं की जाती है।
इसके अलावा, यदि कोई अध्यक्ष या सदस्य अपने पद से इस्तीफा देते हैं या उनके पद से हटा दिया जाता है, तो उनके स्थान पर नए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
निष्कर्ष
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत सरकार के सरकारी भर्ती प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अस्थायी रूप से की जाती है जो संविधान के अनुच्छेद 316 से 319 तक तय की गई प्रक्रिया के अनुसार होती है। UPSC अध्यक्ष और सदस्यों को संविधान द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्हें उनके पद की अवधि के अंत में या उनके समय सीमा के अंत में अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए नियमित रूप से नई नियुक्ति नहीं की जाती है। इसके अलावा, यदि कोई अध्यक्ष या सदस्य अपने पद से इस्तीफा देते हैं या उनके पद से हटा दिया जाता है, तो उनके स्थान पर नए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
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